आसमान से धूप उतरकर बागों, झरनों तक छांव ढूंढती तपती जाती आसमान से धूप उतरकर बागों, झरनों तक छांव ढूंढती तपती जाती
तपन भरी है ये धरा, जीव सभी हैं त्रस्त। मिलता तब आराम है, सूरज होते अस्त... तपन भरी है ये धरा, जीव सभी हैं त्रस्त। मिलता तब आराम है, सूरज होते अस्त...
कविता पढ़ें और महसूस करें... कविता पढ़ें और महसूस करें...
मनुष्य के मानसिक विकास का अध्ययन किया जाता है मनुष्य के मानसिक विकास का अध्ययन किया जाता है
कभी ऊँच तो कभी नीच बहती गंगा पावन है। कभी ऊँच तो कभी नीच बहती गंगा पावन है।
केवल प्रेम और सौहार्द, यही छुपा है उसके मन में। केवल प्रेम और सौहार्द, यही छुपा है उसके मन में।